हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था?  Abhishek Pandey

हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था?

Abhishek Pandey

बहुत से सैलानी आते हैं
इन वनों, उद्यानों को देखने के लिए,
कुछ दिन यहीं रुकते हैं,
सेल्फी वगैरह खींचते हैं,
आनंद मनाते हैं,
महफ़िलें जमाते हैं,
फिर,
निकल जाते हैं,
इन्हीं वनों को काटने के लिए।
इन हरे तनों को काटते हैं,
बच जाता है बस एक ठूँठ,
सिसकता हुआ,
प्रश्न पूछता हुआ
कि
"हमने तुम्हारा क्या बिगाड़ा था?"

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