संग्राम जारी SANTOSH GUPTA
संग्राम जारी
SANTOSH GUPTAभीषण युद्ध जो छिड़ गया है,
हर साँस अब तो लड़ गया है,
संताप हद से बढ़ गया है,
इतिहास नया गढ़ गया है।
त्रास है,
विनाश है,
जटिल हर प्रयास है,
हर दिशा अब दीन है,
ऊषा किरण हीन है।
समय गंभीर है,
हुए हम अधीर हैं,
सब्र की शृंखला
छूती लकीर है।
वक्त जरा सख्त है,
संसार से विरक्त है,
एक महा आह्वान है,
अनुनय का तूफ़ान है,
विकट अंधकार में
एक अंशु विद्यमान है।
त्राहिमाम-त्राहिमाम है,
फिर भी जारी संग्राम है,
फिर भी जारी संग्राम है।