शुभागमन ABHISHEK KUMAR GUPTA
शुभागमन
ABHISHEK KUMAR GUPTAसूरज की ज्योति से जन्मी
वो लक्ष्मी बनकर आई है,
उसके आने की आहट से
घर में खुशियाँ फिर छाई हैं।
मेरी लाडली वो नन्ही सी परी
फूलों से भी प्यारी लगती है,
मन आनंदित हो जाता है
जब देखकर वो मुझे हँसती है।
उसके आने के बाद सभी
मुझे देने लगे बधाई हैं,
उसके आने की आहट से
घर में खुशियाँ फिर छाई हैं।
ना जाने कौन सी बातों पर
वो सोते हुए भी हँसती है,
उसकी यही प्यारी सी सूरत
अब मेरे दिल में सजती है।
उसके चेहरे के नूर से ही
मेरे घर में रौशनी छाई है,
उसके आने की आहट से
घर में खुशियाँ फिर छाई हैं।
अभी नानी के घर पर है वो
पापा के घर जब आएगी,
उसे प्यार करन के खातिर तब
सबकी कतार लग जाएगी।
उसे गोद मे लेने की खातिर
अब होने लगी लड़ाई है,
उसके आने की आहट से
घर में खुशियाँ फिर छाई हैं।
इनकी कीमत कोई क्या देगा
बेमोल ये बेटियाँ होती हैं,
किस्मत वाले होते हैं वो
जिस घर में ये पैदा होती हैं।
मेरे खुदा का रहम-ओ-करम है ये
जो बेटी घर में आई है,
उसके आने की आहट से
घर में खुशियाँ फिर छाई हैं।