शब्द Surya Pratap Singh
शब्द
Surya Pratap Singhशब्द का ही खेल है
शब्द ही भाषा है,
शब्द में उलझा सारा जगत
शब्द की ही अभिलाषा है।
शब्द ही तो हैं जो करते निर्माण व्यक्तित्व का,
शब्द ही पथ प्रदर्शित करते पथिक का,
जो हो शब्दों का आभाव यदि जीवन में किसी के,
नहीं हो सकता यथार्थ सम्मान जग में किसी का।
शब्द यदि उचित हों
तो मिले मान जग का,
रहे ध्यान यदि न शब्दों की गरिमा,
तो सत्य कहे "सूरज", पथ है यह अवनति का।