आधुनिक तकनीक का अवलोकन Sachin Prakash
आधुनिक तकनीक का अवलोकन
Sachin Prakashहै पग-पग बढ़ता ये आडम्बर
कोई नहीं यहाँ खुद से बढकर,
हो जो सम्भाव का सतत पतन
कैसे स्थिर हो मानव जीवन।
मंज़िल जब खुद ही बदल रही नीत
जाने कौन रहे अब पथ अडिग,
अवधि रिश्ते की हुई शून्य मात्र
चरित्र इंसान का हुआ अंश मात्र।
छल कपट में सब परितार्थ हुए
स्वार्थ ही सबके परमार्थ हुए,
मैं सबमें नहीं दोष खोज रहा
तरक्की को नहीं मैं कोस रहा।
दूर बैठे सब संग हुए हैं
जीवन में कई नए रंग हुए हैं,
दिव्यांगों को नया अंग मिला है
निर्बलों को नया उमंग मिला है।
आशय बस मेरा इतना है
तकनीक बिना नहीं जीना है,
यूँ तो सब इससे ही अर्जित होगा
परन्तु कुछ भी नहीं इसमें वर्जित होगा,
सही गलत का निर्णय खुद ही,
मनुष्य चेतना से ही सृजित होगा।