नारी अब तुझे ही लड़ना होगा Deepak
नारी अब तुझे ही लड़ना होगा
Deepakलुट रही हैं देख इज़्ज़त
अब भरे बाज़ार में,
कितना फर्क आ गया है
आदमी के व्यवहार में।
बेटियों, अब अगर जीना है तुमको,
आँखों मे आग...हाथों में हथियार रखना सीख लो,
हाथ ना काँपे अब तुम्हरा
जब वो हाथ दामन पर रखे,
ऐसी परिस्थिति से पहले खुदको
पत्थर सा तैयार करना सीख लो।
आख़िर कब तलक मोमबत्तियाँ लेकर
हम सब यूँ सड़को पर निकलेंगे,
ये जो हैवानियत का खेल चल रहा है
अब इसको तुमको ही बदलना होगा,
सीता माँ के पथ पर ना सही
लेकिन अब दुर्गा माँ के पथ पर चलना होगा,
नारी अब तेरी लड़ाई के लिए
तुझको ही खुलकर लड़ना होगा।
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देश में यूँ तो बहुत से अपराध हैं किन्तु सबसे बड़ा अपराध है किसी नारी के हृदय को ठेस पहुँचाना और उसकी इज़्ज़त पर कलंक लगाना। आए दिन हम पढ़ते रहते हैं कि आज इस बच्ची के साथ ये दुष्कर्म हुआ आज इसके साथ, आखिर कब जाकर ख़त्म होगी ये हैवानियत और कब देश में लड़कियाँ आज़ाद रह पाएँगी। इसी अपराध पर मेरी ये कविता आधारित है। कविता पढ़ें और अगर ये कविता जरा भी सच के निकट हो और जो मैंने कहने की कोशिश की है वो बात पहुँची हो तो जरूर बताएँ।