अहसास  Rakesh Rajgiriyar

अहसास

Rakesh Rajgiriyar

ना वो कुछ कह सकी
ना हम कुछ बतला सके,
ये इश्क़ भी कैसा है जनाब
रात न वो सो सकी न हम।
 

सुबह जब होने को आई
आँखों में ले आँसू,
पता नहीं कैसे दोनों ने दी
रात की बिदाई,
वो रात भी तो ग़मगीन थी
माना वो सर्द रातें थी,
थे दोनों अलग-अलग
पर नींद किसे आई थी।
 

अहसासों की गर्मी ने
रिश्तो में कब नमी लाई थी,
ये भी कैसा इश्क़ था
सुर्ख थे दोनों के होंठ,
आलिंगन को
पहल कौन करे इस बात पर
गजब की ढिठाई थी।
 

अंतर्मन से अपने,
न जाने कौन सी
उनकी लड़ाई है,
न साथ रहते, न साथ चलते,
ये कौन सा इश्क़ है,
एक दूसरे के अहसासों से प्यार करते।

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