नारी को आज़ादी चाहिए  Deepak

नारी को आज़ादी चाहिए

Deepak

तुम्हें इतिहास दिखा देंगे हाँ अब
तुम्हें याद दिला देंगे हाँ अब,
कितना शोषण होता है
नारी के स्वाभिमान पर,
जैसे शीश छिटक के टूटे हैं,
जैसे कोई ठेस लगे है मन पर,
कब से बेड़ी में जकड़ी है
इसे आज़ाद करा देंगे हाँ अब।
 

नारी को ही तुम पूज-पूज कर
नारी को ही हर लेते हो,
कितनी विकृत है सोच तुम्हारी
भला कैसे ये सब कर लेते हो।
नारी पर हुए हर एक अत्याचार का
हिसाब लगाया जाएगा,
जिस बेड़ी में वो बंधी हुई है
उससे आज़ाद कराया जाएगा।
 

क्या भूल गए तुम
त्याग-समर्पण
अपनी माता-अपनी बहनों के,
क्या मोल चुका पाओगे तुम
गिरवी रखे उन गहनों के।
तुमने जो किये हैं उनपर
हर वो गिनकर अपराध बताया जाएगा,
जिस बेड़ी में वो बँधी हुई हैं
उससे आज़ाद कराया जाएगा।
 

उस युग से इस युग तक
अग्निपरीक्षा बस नारी के हिस्से आई है,
परिवार के सम्मान के ख़ातिर
अपने सम्मान की आहुति उसने चढ़ाई है।
कब तक उसके बलिदान को
कमतर आँका जाएगा,
जिस बेड़ी में वो बँधी हुई है
उससे आज़ाद कराया जाएगा।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
507
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com