कोरोना का पैगाम Upendra Prasad
कोरोना का पैगाम
Upendra Prasadकोरोना का प्यारा पैगाम,
स्वस्थ रखो भाई अपना धाम।
हम तो एक सन्देश हैं
युग-युग का यही भेष है,
याद दिलाने आया तुझको
स्वर्ग से सुन्दर देश है।
देश ही पहचान देता
दुनिया का अरमान देता,
दर-दर ठोकर खाए को
देश ही पनाह देता।
स्वच्छ रखो, सत्कार करो,
भूल अपनी स्वीकार करो,
फिर न पलायन कभी देश से
यही प्रण बार-बार करो।
जब-जब तूने प्रकृति को
विकृत करने का ठाना है,
तब-तब हम को इसी रूप में
उसे बचाने आना है।
देखो अब परिशुद्ध पवन में
प्रकृति नहायी है,
सारे जीव-जगत में फिर से
नव जीवन भर आयी है।
खिले पुष्प पर कैसे भँवरे
खुश होकर मँडराते हैं,
सूने पड़े अपने आँगन में
बच्चे उधम मचाते हैं।
माना हमने छीन लिया है
कई अज़ीज परिवारों को,
क्या बिना त्याग हासिल हुआ है
देख अतीत इतिहासों को।
छोड़ दे रोना-धोना मानव
क्या खोया क्या पाया है,
दस्तक देता भविष्य तुम्हारा
नव विहान ले आया है।
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कोरोना ने महामारी का रूप लेकर जहाँ एक तरफ सपूर्ण प्राणी-जगत को तबाह कर दिया, वहीं दूसरी तरफ हमें स्वच्छता एवं स्वदेश का पाठ पढ़ाकर हमारे मार्ग को प्रशस्त किया है। कोरोना ने लापरवाह मानव को भविष्य के लिए सचेत किया है। साथ ही उसे इस त्रासदी से शीघ्र उबरकर नए वातावरण में भविष्य निर्माण का बोध कराया है।