सफर का संघर्ष Aman Kumar Singh
सफर का संघर्ष
Aman Kumar Singhएक रोज़ सफर में चलते-चलते
एक बात पुरानी याद आई,
मुलाकात पुरानी याद आई,
कुछ लोग पुराने याद आए,
वो दोस्त पुराने याद आए।
जब पीछे मुड़कर मैंने देखा,
कुछ रिश्ते थे जो टूट चुके थे,
कुछ लोग जो पीछे छूट चुके थे,
मैं तो था पर वो पुरानी बात नहीं थी,
दिन तो था पर सुकून भरी वो रात नहीं थी।
चलते-चलते ये कहाँ मैं आ गया था,
एक फूल जो बारिश में भी मुरझा गया था,
कुछ सपने, वादे और न जाने क्या क्या छूटा था,
भीड़ भरी इस महफिल में जाने क्यों सन्नाटा था,
इस मोड़ पे आकर मैंने ये सब क्यों सोचा था,
जब चल ही रहा था, खुद को मैंने क्यों रोका था।
अब कुछ भी हो पर मुझको तो चलना होगा,
विषम परिस्थिति में भी अब ढलना होगा,
वो लोग पुराने, बात पुरानी और पुरानी यादें हैं,
क्यों भूल रहा तू तेरे खुद से भी कुछ वादे हैं,
राह कठिन है तुझे और परिश्रम करना होगा,
इस कठिन सफर में तुझे खुद से भी लड़ना होगा।