यही तो संसार है Yograj Jangir
यही तो संसार है
Yograj Jangirकहीं अंधेरा, कहीं उजाला,
कहीं धूप, कहीं छाँव है,
कहीं अमीरी तो कहीं नंगे पाँव हैं।
इस सृष्टि का खेल अनजाना,
कहीं रूठना तो कहीं मनाना,
कहीं हँसना तो कहीं हँसाना।
चली आ रही सदा से ये रीत,
कहीं शिक्षा सही तो कहीं गलत सीख।
खुशियाँ हैं अपार कहीं, तो कहीं गमों की झार है,
यही तो संसार है, यही तो संसार है।