मृत्यु Anupama Ravindra Singh Thakur
मृत्यु
Anupama Ravindra Singh Thakurजन्म के साथ-साथ ही
मृत्यु भी लिखी जाती है,
हम जन्म लेते हैं
साथ ही मृत्यु भी जन्म लेती है।
जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं,
मृत्यु की निकटता भी
बढ़ती जाती है,
हम आगे-आगे बढ़ते जाते हैं,
वह हमारे पीछे-पीछे
दौड़ती जाती है।
हम इस भ्रम में कि
इससे छुटकारा पा लेंगे
कोशिशें बढ़ाते जाते हैं,
मन में मृत्यु का डर लिए
फिर भी जीवन जीते जाते हैं।
जीवन ही सत्य है
यह सोच कर
जीने की हसरत
लिए जाते हैं,
तमाम कोशिशों के बावजूद
पीछे-पीछे
दौड़ने वाली मृत्यु
एक दिन हमें पकड़ ही लेती है,
जीवन की सारी परेशानियों से
छुटकारा देकर
सुख और चैन देती है।