हसीन ख़्वाब suman sabhajeet yadav
हसीन ख़्वाब
suman sabhajeet yadavबचपन के वो हसीन ख्वाब जो अधूरे से थे,
दिल के वो सारे अरमान जो टूट से गए थे।
वो सारी हसरतें जो कही गुम सी हो गई थी,
जिए जा रहे थे ज़िन्दगी जो, अधूरी सी थी।
फ़िर कुछ यूँ हुआ, अधूरे ख़्वाबों को आयाम मिल गए,
दिल के टूटे हुए वह सारे ख़्वाब फिर से जुड़ गए।
ज़िन्दगी की वो हसरतें फिर से जग गईं,
अधूरी थी जो ज़िन्दगी, ओ पूरी हो गई।
वो शख्स, बचपन से जिनकी तलाश थी,
ज़िन्दगी की सूनी राहों में उस हमसफ़र की आस थी।
तन्हाईयों में जो ख्यालों में अक्सर आया करते थे,
जिनके एहसासों से रोम-रोम खिल जाया करते थे।
कभी ख्यालों में आकर जो गुदगुदा जाते थे,
मेरे होठों पे बनकर हसीं बिखर जाते थे।
आज वो शख्स मुझसे रूबरू हुए,
दिल के सब तारों को स्पंदित कर दिए।