हम तो हैं बस निमित्त मात्र Surya Pratap Singh
हम तो हैं बस निमित्त मात्र
Surya Pratap Singhहम तो हैं बस निमित्त मात्र
सब करते हो तुम ही नाथ,
सकल विश्व के तुम ही स्वामी
तुम्हरे शरण में हैं गोस्वामी।
नाथ कृपा कुछ हम पर कीजे
सकल बिध्न तुरतै हर लीजे,
तुम तो हो गुण-सागर के बिधान
तुम से नहीं है कुछ गुप्त ज्ञान।
तुम ही तो हो विश्व प्रधान
कुछ कृपा हम पर कृपानिधान,
बिलख रहे हम द्वार पर तेरे
दर्शन दे दो हे भगवान।
जग के तो आयाम तुम ही हो
सकल गुणों के खान तुम ही हो,
तुम ही कृष्ण हो तुम ही विष्णु
तुम्ही श्याम और राम तुम ही हो।
कर्ता तुम ही, तुम ही कारण
तुम्ही हो जग के मूलप्राण,
जब चाहो तो सृष्टि सँवारो
जब चाहो तब सर्वनाश।
तुम तो बसते हो कण-कण में
तुम ही हो हमरे निधान,
कष्ट हरो प्रभु हम आए शरण में
अपने चरणों में प्रभु दे दो स्थान।
अभी तुम थे यहीं मगर
पर अब तुम कहीं हुए अंतर्ध्यान,
तुम्हारी लीला कछु समझ न आवें
विनम्र हो हम कर रहें प्रणाम।
अपरंपार है कीर्ति तुम्हारी
सकल विश्व के नाथ मुरारी,
पूजें सकल विश्व के नर-नारी
अपनी शरण गह्यो हमें मुरारी।