है मुक्ति मार्ग यह देशप्रेम  Surya Pratap Singh

है मुक्ति मार्ग यह देशप्रेम

Surya Pratap Singh

जब-जब कुछ जयचन्दों ने
खंजर घोपें हैं भारत माँ के सीने में,
तब-तब मर्यादा कलुषित हुई
खुद मानव मर्यादा की रक्षा में।
 

बहिर्घातों से ढाल सा प्रहरी
सदियों से खड़ा अडिग हिमालय है,
लेकिन सनद रहे अब मित्रों
खतरा खुद अपने आलय से है।
 

हे पथ प्रहरी तुम रहो सजग
चहुँओर तुम्हारा रहे ध्यान,
जिससे इस यज्ञ आहुति में
किचिंत न हो कोई व्यवधान।
 

है मुक्ति मार्ग यह देशप्रेम
पथ-पथ पर इसका जाप करो,
नित-निरन्तर तुम करो प्रयत्न
हरपल इसका उत्थान करो।
 

होकर सजग, लेकर सबक,
आओ इतिहास को पुनः दोहराएँ,
भारतवर्ष का केसरिया बाना
जग में सबसे ऊपर लहराए।

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