अकेला हूँ ABHISHEK KUMAR GUPTA
अकेला हूँ
ABHISHEK KUMAR GUPTAना पहले था मेरा कोई
ना मेरा आज कोई है
किसी की याद में आँखें
मेरी दिन रात रोई हैं
घुटन सी जिन्दगी है
और काले गम का साया है
तड़पते दिल को मैंने
बस यही कह कर मनाया है
अकेला हूँ, अकेला हूँ, अकेला हूँ, जहाँ में मैं