मीत तुम मेरे Rakesh Kushwaha Rahi
मीत तुम मेरे
Rakesh Kushwaha Rahiमीत तुम मेरे गीत बन गए
प्रीत की तुम रीत बन गए।
जब भी मैं अकेला रहा हूँ कभी
अंधेरों से डरकर छुपा हूँ कहीं
मीत तुम मेरे दीप बन गए।
समंदरो ने जब भी पुकारा मुझे
लहरों ने जब भी डुबाया मुझे
मीत तुम मेरे द्वीप बन गए।
काँटे चुभे हैं जब-जब पाँव में मेरे
हाथ थामे हैं तुमने ही बढ़कर मेरे
मीत तुम मेरे प्रीत बन गए।
मीत तुम मेरे गीत बन गए
प्रीत की तुम रीत बन गए।