सुप्रभात  Rakesh Kushwaha Rahi

सुप्रभात

Rakesh Kushwaha Rahi

चाँद आसमान में जब भी निकला
संग अपनी चाँदनी के साथ निकला,
धरा स्वर्णिम रौशनी से रंग सी गयी
ओस सुधा बनकर पत्तों पर बिखरी।

तारों की महफिल में गा रहा है चाँद
बाल मन को भी बहला रहा है चाँद,
शर्माया सा चाँद बादलों में छिप गया
ढलती निशा के साथ जा रहा है चाँद।

तारे चमक रहें हैं धुली भोर में अभी
थोड़ी लालिमा है पूरबी छोर में कहीं,
सूरज के आगमन का शुभ संकेत है
मार्तण्ड रूके हैं घन के ओट में अभी।

पंछियों का स्वागत गान चल रहा है
मंदिरों में मंत्रों का जाप चल रहा है,
घंटियों के स्वर से मन शांत हो चला
भास्कर के तेज से संसार चल पड़ा है।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
337
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com