उम्मीद  Ravi Panwar

उम्मीद

Ravi Panwar

सदाएं सरहदों के
आर-पार रहतीं है,
एक दूजे से मिलने को
बेकरार रहतीं है।
 

छुड़ा नहीं पाती खुद को
तहखानों की कैद से,
कुछ रूहें यूँ ही
ताउम्र गिरफ्तार रहतीं है।
 

छू न ले आह को
मरहमों की शिफा जब तक,
सूखे घावों में भी
गहरी दरार रहती है।
 

कितनी भी हो कैफियत
उम्मीदों के सफर में,
मुकम्मल होने को कोशिशें
हरदम तैयार रहती हैं।
 

और, घोंप दे खंजर "रवि"
अपने गुनाह के सीने में,
फिर देख कैसे ज़िन्दगी में
सब-ए-बहार रहतीं हैं।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
231
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com