आगोश मे ले लो!  Surya Pratap Singh

आगोश मे ले लो!

Surya Pratap Singh

आगोश में ले लो तुम मुझे इस कदर
हवाओं ने घेरा हो जैसे हमें,
करो प्यार फिर तुम ऐसे झूमकर
भँवर में घिरा हो जैसे कोई डूबकर।
 

उतरने न दो तुम नशा प्यार का
खुमारी में यूँ ही ढल जाए दिन,
अम्बर पर छा रही हो घटा जिस तरह
आगोश मे ले लो तुम मुझे उस तरह।
 

जुस्तुजु है कि यूँ ही सब चलता रहे
फिजाओं में बादल तैरता रहे,
घटा छाई रहे प्यार की सदा
मयस्सर हो न हमको जुदाई कभी।
 

बहकता हूँ मैं तो बहक जाने दो
बाहों में अपनी सिमट जाने दो,
बाकी रहे न फिर तमन्ना कोई
आगोश मे भर लो तुम मुझे इस कदर।

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