निश्छल मुस्कान SMITA SINGH
निश्छल मुस्कान
SMITA SINGHहरे कृष्ण की महिमा, जिनके अधरों पर निश्छल मुस्कान
आधी रात, आँधी पानी वाली रात, वह काली रात
कृष्ण के जन्म की कहानी है, वह हैं घनघोर रात की सौग़ात,
द्वारकाधीश आपके शुभ आगमन की है ये बात।
विचित्रता से भरे आपके जन्म के राज़,
जिस कृष्णलीला को मनाते जन्माष्टमी की रात।
कठोर दंड बिना मतलब भोगते रहे नंदलाल के माता-पिता,
जन्म भी हुआ, तो हुआ कारागार में।
पर हुआ चमत्कार, हुए प्रकट बाल कृष्ण भगवान।
कितने ही किस्से कृष्ण लीला के हैं प्रचलित
मथुरा, वृन्दावन और गोकुल धाम,
इसलिए सभी लगते जैसे हों कृष्ण धाम।
द्वापर युग में अधर्म, निर्ममता का था एक कठिन प्रहर
कुछ अधर्मियों का हो गया था आगमन,
प्रकट भए बृजवासी नंदलाल, जन्म से ही जिनके
आ गया अधर्मियों का काल।
कारावास के ताले टूट पड़े अचानक
सैनिक घोड़े बेच सो गए अचानक,
नन्दबाबा के द्वार की खूँटी, खट-खट आधी रात को,
नंदलाल नन्दबाबा के द्वार पहुँच कर दिए विस्मित रात को।
धर्म फिर से स्थापित करने, पुनः सब कुछ स्थापित करने,
धर्माध्यक्ष, देवकी नंदन, द्वारकाधीश, ब्रह्मांड के ईश्वर
और हम सब के रक्षक, बाल रूप धरे आ गए जैसे आसमान से।
मैं भी हूँ आपके दर्शन की अभिलाषी
आपके चरण की धूल को लगा मैं रम जाऊँ मैं कृष्ण धुन में
बन जाऊँ मैं कृष्ण दीवानी।
आपकी डोर तो बंधी राधा से, आपका नाम प्यारा राधेश्याम,
अगमजानी ईश्वर हैं आप भक्तिन मैं आपके नाम की।