सावन आता रहेगा SMITA SINGH
सावन आता रहेगा
SMITA SINGHजेठ हर प्रहर कड़ी धूप लेकर आता रहेगा,
आषाढ़ के बाद सावन आता रहेगा।
बेलपत्र पर गिरती ओस की बूँदें
सफ़ेद धवल फूल गूँचे,
सुबह-सुबह धीमे पैरों की आहट
बाग़ान में चिड़ियों की चहचहाहट,
ओस बूँद पत्तों पर झड़कर
छम-छम बारिश क्यारियों पर छन कर
संगीत मधुर बनाता रहेगा,
सावन तो सावन है, मधुर गीत गाता रहेगा।
जेठ आषाढ़ गर्म उष्ण, धरती सूरज से तपता होता
मन को शीतल करता आया आज फिर मनभावन सावन,
रंग बिरंगे फूलों पर तितलियाँ मंडरा रहीं झूम कर
सुनहरे रूपहले नज़ारें से भर गया हर आँगन।
भीरों की गुनगुनाहट से गूंज रहा है प्रांगण
कोयल की कुहू-कुहू संगीत बिखेरे
फूल हैं तो भौरें हैं जिनके गुंजन से मनभावन समाँ बंध रहा है
सावन तो सावन है, हर कोई गीत गाता रहेगा।
क्यों सावन है सबसे ख़ास, यही तो है बड़े पते की बात
क्यों है यह सर्वोत्तम पावन मास?
मंदिरों में शिव जी का जलता दीया,
जब व्रत उपवास नर नारी ने किया
डमरू मृदंग की थाप, ढोलक पर भोले का आग़ाज़।
सावन के झूले पर बैठी नारियाँ के हाथों में खनकती चूड़ियों की आवाज़
संगीत लहरियाँ छेड़ती गुनगुनातीं शिव प्रिय धुन अलापती
गीत मधुर गाती गुनगुनाती
सावन तो सावन है ख़ुशी के गीत सुनाता रहेगा।