माता-पिता Vibhav Saxena
माता-पिता
Vibhav Saxenaमाता-पिता इस संसार की वो महान हस्तियाँ हैं
जिनकी छत्रछाया में सब कुछ सहज और सरल है,
उनके होने से ही हर दिन हमें मिलती हैं खुशियाँ
जिनकी वजह से हमारी ज़िन्दगी में खुशी हर पल है।
माता जो एक संतान को जन्म देने और पालने में
ना जाने कितने ही दर्द और कष्टों को सहा करती है,
पिता जब प्रेम से सिर पर हाथ फेरे तो हर दुःख
और तकलीफ अचानक कम होती लगने लगती है।
वो जिनके बिना जीवन में केवल नीरसता ही है
और जिनका पास होना किसी वरदान से कम नहीं,
संसार में भले ही कोई भी स्वार्थी हो जाए लेकिन,
माँ बाप के लिए संतान से बढ़कर कोई भी धन नहीं।
माँ अकेली वो शक्ति है जो अपनी संतान के लिए
लड़ जाती है, सामने चाहे मानव हो या फिर ईश्वर हो,
पिता सब देकर भी रखते हैं अनुशासन में बच्चों को
तो केवल इसलिए ताकि बच्चों का जीवन बेहतर हो।
माँ जो दुनिया में सबसे ज्यादा सहनशील है और
वो सब करती है जिससे उसके बच्चे खुशी से जी सकें,
पिता खुद भूखे प्यासे रहते हुए काम करते हैं अक्सर
ताकि संतानें अच्छी तरह से पढ़-लिख और खा-पी सकें।
उन माता-पिता की किसी से कोई भी तुलना नहीं है
जो छोड़ देते हैं वो घर जिसमें उनकी आत्मा बसती है,
और रह लेते हैं बच्चों की खुशी के लिए कहीं पर भी
भले ही उनकी निगाह बच्चों को देखने को तरसती है।
माता पिता वाकई विधाता का वरदान हैं और जो लोग
इस बात को नहीं समझते और उनका अपमान करते हैं,
देख लेना दुनिया में चाहे कहीं भी जाकर कि वो सभी
इस जन्म में ही कभी ना कभी अपनी करनी को भरते हैं।
मैं बस यही कहूँगा कि अगर माँ बाप हैं तुम्हारे पास तो
खुद को खुशनसीब और वाकई धनवान समझ सकते हो,
खुश रखना हमेशा अपने माँ-बाप को क्योंकि यही वो हैं
जिन्हें तुम इस धरती पर जीवित भगवान समझ सकते हो।
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माता-पिता वाकई ईश्वर का दिया हुआ अनमोल वरदान हैं और हमारी सबसे बड़ी पूंजी भी किंतु आज के समाज में अधिकांश माता-पिता स्वयं को उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। विशेषकर नई पीढ़ी अपने माता-पिता को वह सम्मान नहीं दे रही है जिसके वे वास्तव में अधिकारी हैं। इसी तथ्य को ध्यान में रखते हुए माता-पिता की महानता को दर्शाते हुए उनका सम्मान करने की सीख देने के उद्देश्य से यह कविता लिखी गई है।