दोहरा व्यक्तित्व  CHANDRESH PRAGYA VERMA

दोहरा व्यक्तित्व

CHANDRESH PRAGYA VERMA

आज कल लोग अपने व्यक्तित्व को दो तरीके से दर्शाते हैं,
तभी तो अन्दर से कुछ और बाहर से कुछ और नज़र आते हैं।
 

लगता है जैसे इनसे करीबी हमारा कोई और नहीं होगा,
लेकिन यही हमें सब से ज़्यादा दूर छोड़कर चले जाते हैं।
 

दिखाते हैं ऐसे जैसे हमारे सबसे भरोसेमंद बस यही हैं,
पर एकदम से विश्वास हमारा पूरा तोड़ कर चले जाते हैं।
 

समझते रहते हैं ताउम्र हम अपना सबसे ज्यादा ख़ास,
वो बस एक पल में पराया कर के हमको चले जाते हैं।
 

वो रखते हैं सिर्फ अपने काम से ही हमेशा मतलब,
और एक हम हैं जो बेवजह रिश्ते निभाए जाते हैं।
 

किस से करें शिकायत दिल की अपनी ये बताओ तो ज़रा,
लोग सुनते तो हैं लेकिन अन्दर ही अन्दर मुस्कुराए जाते हैं।
 

क्या करें कि है आदत से हैं मजबूर हम भी एकदम अपनी,
जानते हैं सब, फिर भी नए दोस्त हर रोज़ बनाए चले जाते हैं।

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