अटूट बंधन  ARUN KUMAR SHASTRI

अटूट बंधन

ARUN KUMAR SHASTRI

धागों का त्यौहार, अटूट बंधन, भाई बहन का,
रीति रिवाजों से बंधा और संस्कारों से जुड़ा माँ जाई का।
भारतीय संस्कृति की पहचान है ये मानवीय गुण महान,
ये रिश्ता पूरे परिवार की शान, कहलाता भाई बहन का।
 

दिल से है जुड़ता, अन्यथा कोई न इसमें विशेषता,
प्यार और विश्वास का, आदर और सत्कार का,
धागों का त्यौहार, अटूट बंधन, भाई बहन का,
रीति रिवाजों से बंधा और संस्कारों से जुड़ा माँ जाई का।
 

बहन के लिए होता एक सहारा उसका भाई प्यारा
माँ पिता जब नहीं होते यही रहता जीवन आधार,
धागों का त्यौहार, अटूट बंधन, भाई बहन का,
रीति रिवाजों से बंधा और संस्कारों से जुड़ा माँ जाई का।
 

जगत के अनाचार का भाई होता प्रतीक अधिकार का
राखी के धागे, बन जाते उसके कर्तव्य व्यवहार का।
दुख-सुख में रहता खड़ा, शिला खंड सा अड़ा,
धूप में, बरखा में, आँधी में, तूफान में छत की तरह।
 

छोटा हो बड़ा हो भाई एक नींव है रिश्तों में सजीव है,
कोई एहसास जैसे सबसे ज्यादा जो दिल के करीब है।
रंगीन धागों का त्योहार एक बहन के लिए नसीब है,
माथे का टीका रोली-चंदन, उसके बच्चों का मामा खुशनसीब है।

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