वह मजदूर है  SANTOSH GUPTA

वह मजदूर है

SANTOSH GUPTA

तराशकर ताज, जो गँवा दे हाथ,
वह मजदूर है।
ओढ़कर धूप, जो पा ले छाह,
वह मजदूर है।
नींव के नीचे, जो हैं बुनियाद,
वह मजदूर है।
भूख से भी तेज, प्यास से भी जोर
नींद को भी जो सुला दे रात,
वह मजदूर है।
ये ऊँची ईमारत, ये गहरी खदान
ये हल्की उजरत, ये भारी सामान
थकावट को जो है देता थकान,
वह मजदूर है।
जिस झुग्गी पर टिका है पक्का मकान,
वह मजदूर है।
आसमान के नीचे जो दबा है आसमान,
वह मजदूर है।

अपने विचार साझा करें




0
ने पसंद किया
367
बार देखा गया

पसंद करें

  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com