माँ का स्पर्श Diwakar Srivastava
माँ का स्पर्श
Diwakar Srivastavaमेरे बनाये खाने से
तेरे खाने सी महक आती नहीं,
कोशिशें मैं लाख करता हूँ पर
दाल उस तरह गल पाती नहीं।
जो छोड़ा था मैंने बचपन की थालियों में
काश वही मिल जाए फिर से,
ये नुक्कड़ों और ढ़ाबों के खाने से
नींद अब आती नहीं।
ये अंग्रेजी दवाएँ ठीक तो कर देती हैं मुझे,
पर तेरे स्पर्श की कमी खल जाती है मन में,
वो चूमकर पुचकार कर, तेरा कहना मुझसे
"अरे! मेरे बेटा ठीक हो जाएगा एक दिन में।"