हमारी अनूठी-अलबेली हिन्दी Rakhi Jain
हमारी अनूठी-अलबेली हिन्दी
Rakhi Jainहिन्दी भाषा की आओ, तुमको पहचान कराएँ,
अपनाकर इसे हम अपना, जीवन सफल बनाएँ।
हिन्दी नहीं किसी की दासी, हिन्दी है गंगा का पानी,
हिन्दी है भारत की भाषा, हिन्दी भारत की रानी।
हिन्दी शक्ति रूप है, कर लो इसको नमन,
शिव से इसे चन्द्र मिला, ओम नाम उच्चारण।
बह्मा जी के वेदों में, जब संस्कृत उच्चारण आया,
हिन्दी के साथ मिलकर सुन्दर शब्द बनाया,
वेद, पुराण और गीता पढ़कर, सब प्राणियों ने जीवन सुखद बनाया।
भारत में ही जन्मी हिन्दी, भारत में ही परवान चढ़ी,
भारत इसका घर-आंगन है, नहीं किसी से कभी लड़ी।
बिन्दी लगा आदर्श बनी, यूँ भारत देश की नारी,
पूरा देश अपनाए इसको, हुई अंग्रेजों पर ये भारी।
सबको गले लगाकर चलती, करती सबकी अगवानी,
याचक नहीं, नहीं है आश्रित, सदा सनातन अवढ़रदानी।
खेतों खलियानों की बोली,आँगन-आँगन की रंगोली,
सत्यम्-शिवम्-सरलतम्-सुन्दर, पूजा की यह चंदन रोली,
जन-जन की भाषा यह, कण-कण की वाणी कल्याणी।
भूख नहीं है इसे राज की, प्यास नहीं इसे ताज की,
करती आठों पहर तपस्या, रचना करती नव समाज की।
समय आ गया है, उठो, जागो और संकल्प करो,
अपनी अनूठी भाषा पर गर्व करो।