अटक जाएँगी साँसें  Rajender कुमार Chauhan

अटक जाएँगी साँसें

Rajender कुमार Chauhan

अटक जाएँगी साँसें एक दिन हलक़ में,
टक-टक घड़ी की ना, कभी बन्द होगी!
 

बीती जाए उम्र सारी काम काज करते,
फुरसत मिली ना जो हरि नाम भजते!
याद आएगा वो सब, अन्त आएगा जब,
राम नाम जपने की घड़ियाँ चन्द होगीं!
अटक जाएँगी साँसें एक दिन हलक़ में,
टक-टक घड़ी की ना, कभी बन्द होगी!
 

बेबस रहेगा दम, दुख नहीं होगें कम,
सेहत ना साथ देगी, आँखें रहेगीं नम!
जीने को भी ज़िन्दगी तू मजबूर होगा,
मिलेगी ना शय वो, तुझे पसन्द होगी!
अटक जाएँगी साँसें एक दिन हलक़ में,
टक-टक घड़ी की ना, कभी बन्द होगी!
 

त्याग दे ये मोह माया, त्याग सारे बन्धन,
गुरू की शरण में काया, हो जाए कुन्दन!
सीख सत्गुरू की जब लाएगा अमल में,
बदन होगा चन्दन, बुद्धि अक्लमंद होगी!
अटक जाएँगी साँसें एक दिन हलक़ में,
टक-टक घड़ी की ना, कभी बन्द होगी!

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