कुछ तो कर लो Goutam Kumar Mahto
कुछ तो कर लो
Goutam Kumar Mahtoवक्त है खुद को बदलो
ज़िन्दगी है इसे जी लो,
इस दुनिया में कोई टिका नहीं,
लेकिन टिकने की तुम कोशिश कर लो।
दिल है तो प्यार कर लो
खुद को तुम तैयार कर लो,
चूँकि दिन में तारे दिखते नहीं
अभी रात है तुम तारे गिन लो।
मौका मिले तो पंख खोल लो
डर लगे तो मुट्ठी मोड़ लो,
चूँकि हर दिन फल पकते नहीं,
इसलिए जब पके दिखें तो तोड़ लो।
रास्ते बहुत होंगे जाने के
जो अच्छा लगे उसे चुन लो,
चूँकि हर बात बुरी होती नहीं
सो बुरा लगे तो भी सुन लो।
मंज़िल ना मिले तो थोड़ी आस कर लो
कुछ नहीं तो भी कुछ कर लो,
माता-पिता से बढ़कर कोई देव नहीं
जब तक हैं उनके चरणों में झुक लो।
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![Goutam Kumar Mahto](member_image_uploads/MTBM107631.jpg)
प्रस्तुत कविता उन लोगों के लिए है, जो अक्सर अपने मार्ग से विचलित हो जाते हैं और उनको अपनी कर्तव्य का पता नहीं चल पाता है। यह कविता उनको उनके वक्त का आभास कराती है, उनके जीवन का आभास कराती है। किसी भी मनुष्य को अपनी मंज़िल की आस नहीं छोड़नी चाहिए और ना ही माँ-बाप का साथ छोड़ना चाहिए। यही उनका कर्तव्य है जिसे कविता इंगित करती है।