स्कूली दोस्ती  Goutam Kumar Mahto

स्कूली दोस्ती

Goutam Kumar Mahto

जब हम स्कूल में पढ़ते थे
हमारे दोस्त हुआ करते थे,
ऐसे दोस्त जो हमारे साथ ही
आगे से पीछे और पीछे से आगे
होते रहते थे।
 

शिक्षक किसी को दंड दे तो
हम अपने साथी के पक्ष में हो जाते थे,
और यदि गृहकार्य मिले तो
सब मिल-जुलकर, देखा-देखी करके
बनाते थे।
 

जब हम खेलते थे
आपस में झगड़ लेते थे,
कोई रुठ जाये तो
सब मिलकर उसे मनाते थे,
और जो ना मने तो
हमलोग भी रुठ जाते थे।
 

जब हम दुकानों में जाते थे
तो पहले पैसे मिलाते थे,
और खाने की खरीद कर
सब बराबर बाँट खाते थे।
 

जब कभी विपक्षी से सामना हो,
हम सब टोली बनाकर
निपटने चले जाते थे।
यदि कोई एक हारे
तो सबकी हार हो जाती,
और यदि कोई एक भी जीते
तो हम सब की जीत कहलाती थी,
इस तरह हमारी दोस्ती में मस्ती
छा जाती थी।

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