है नया साल  SMITA SINGH

है नया साल

SMITA SINGH

आज साल की आख़िरी शाम,
कल की नई सुबह के लि
मन में संजो रखे हैं खूब सारे अरमान।

चमक है आँखों में और सुनाई दे रही
दूर से पटाखे की तेज़ आवाज़,
साथ में नए साल की शुभकामना देते लोगों का हुजूम
और साथ तेज संगीत की धुन खींच रही सभी का ध्यान।

कल है नए साल का प्रभात और मन में हैं अगाध विश्वास
नये साल की पहली किरण साथ
ले आए ख़ुशियों भरा पैग़ाम,
शुभ दिन की शुरुआत करें हम सब ऐसे
जिसमें हो अपनापन भरपूर
बड़े बुज़ुर्गों के मुखमण्डल पर मुस्कान।

नई ऊर्जा, नया उल्लास,
जीवन का एक नया अध्याय,
आज साल का पहला दिन है
फिर भी ना भूलें हम सब कल की बीती हुई शाम।

आरंभ नए वर्ष, नए दिन, नए साल का,
अंत बीते काल का,
सुकून तब ही होगा नए साल में
जब व्यतीत हुआ होगा सुखमय पुराना साल।

नए साल की पहली रोशनी
सूर्य की चमक रौशनदानों को बींधती,
यह चमक ले कर आई अधरों पर मीठी मुस्कान
क्योंकि था परिपूर्ण पुराना साल
जिसकी थी कल आख़िरी शाम।

हर आचरण हमारा ले कर आता है कई बदलाव
सम्भाल रखा था जो सचारित्र आवरण
और पकड़ रखा था सच्चाई का दामन,
आज भरी है झोली हमारी
ख़ाली हाथ ना जाए कोई ऐसे ही भरा पूरा रहे मेरा प्रांगण।

हर साल मनाएँ नया साल,
उनकी भी हो प्यारी सुबह आज
झिलमिलाती रहे उनकी भी शाम।
समय होता है बड़ा बलवान
जीवन में आते विविध प्रकार के इंसान,
पर है हमारा एक ही काम,
सूरज की तरह बिखेरें रोशनी हर ओर एक समान।
कब सूर्यास्त आ पहुँचेगा, कब ख़त्म हो जाएगी पहचान,
करते रहें हम उज्जवल जीवन सब का
इंसानियत की है यही पहचान।

नये साल में यही प्रण लें हम सब मिल बैठ सब के साथ
सात जन्मों तक हो यह साथ
आती रहे हर नए साल में ऐसी ही मनभावन शाम।

मशरूफ़ ख़ुद में ताउम्र ख़ुद को समेट,
रख कठोर भावभंगिमा सतही व्यक्तित्व और झूठा आवरण,
आज ले लो एक प्रण सतही ना हो कोई भी काम,
छोड़ सारे ऐब अपना लो, सबको, पालो नहीं कोई भ्रम् ना बुनो कोई भी जाल,
इंसान की सही परिभाषा का लेख लिखो ख़ुद अपने ही नाम।

ख़ुशियों से छलछलाएँगी आँखें
अब बस ख़ुशियाँ बाँटते रहेंगे,
ख़ुशियों के आँसू छलकते रहेंगे,
हर सुबह होगी ख़ुशनुमा रूहानी होगी हर शाम,
ऐसी सुबह ऐसी शाम साल दर साल आती रहें
चढ़ती रहें उम्मीदों की परवान।

रखोगे जब लोगों का ध्यान
बनी रहेगी आन बान और शान,
आख़िरी सफ़र भी होगा ना अकेला
होंगी दुआएँ साथ में
लोगों के साथ में होगा शांति से भरा पैग़ाम।

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