प्राण प्रतिष्ठा Surya Pratap Singh
प्राण प्रतिष्ठा
Surya Pratap Singhमिटाने की हर संभव हुई कोशिशें,
न जाने लगी जमाने पर कितनी बदिंशे।
तोहमतों की न कोई सीमा रही,
मिथ्या एवं काल्पनिक कही जाने लगी।
दुष्ट जन-जन की बातों को झुठलाने लगे,
लोगों की बातों का मज़ाक उड़ाने लगे।
जनमानस के धैर्य की हुई खूब परीक्षा,
परन्तु अब पूर्ण होने को है सभी की सदइच्छा।
बिराजेगें प्रभु पुनः अयोध्या में सदियों बाद,
आओ भारतवंशियों करलो यह तिथि याद।
पुनः दिवाली मनाई जायेगी घर-घर में,
प्रभु के पुनः प्राण प्रतिष्ठा के बाद।