मेरी माँ Harshita Bisht
मेरी माँ
Harshita Bishtहर रोज़ सुबह जगाती जब माँ, कहती स्कूल तुझे जाना है,
उठ बेटा समय हो गया पढ़ लिख, तुझे जग में नाम कमाना है।
अलसाई आँखें खोलकर, शौचालय तब मैं जाता हूँ,
स्नान करके हाथ जोड़कर प्रभु का ध्यान लगाता हूँ।
माँ तैयार करती मुझे, टिफिन मेरा लगाती है,
जब-जब उन्हें समय मिले, संस्कार मुझे सिखाती है।
कैसे विद्यालय में प्रवेश करना, गुरु का सम्मान कैसे करना है,
मन लगाकर पढ़ाई करके, आगे कैसे बढ़ना है।
गुरु आज्ञा का पालन करो, तो ज्ञान चक्षु खुल जाएगा,
जीवन पथ प्रशस्त होगा, भविष्य सफल बन जाएगा।