चाहत है  Gulshan Kumar Pal

चाहत है

Gulshan Kumar Pal

चाहत है तुझे चाहने की,
पर चाहकर क्या करूँगा।
चाहत है फिर से इश्क़ की,
पर प्यार भी पाऊँगा?
 

चाहत है तुझे ढूँढने की,
पर मिलकर क्या करूँगा।
चाहत है फिर से खोजाने की,
पर आ भी पाऊँगा?
 

चाहत है तुझे पाने की,
पर पाकर क्या करूँगा।
चाहत है फिर से टूटने की,
पर जुड़ भी पाऊँगा?
 

चाहत है तुझे देखने की,
पर निहारकर क्या करूँगा।
चाहत है फिर से आजमाने की,
पर भरोसा भी पाऊँगा?

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