युद्ध भूमि Gulshan Kumar Pal
युद्ध भूमि
Gulshan Kumar Palअर्जुन का पैर काँपा, माधव भी घबराए थे,
युद्ध भूमि में सबने, अपने सर कटवाए थे।
जीवन का परिचय दे कर, माधव ने समझाया,
सुनो पार्थ कान खोल कर, जीवन मृत्यु में मैं समाया।
जीवन मुझ में खिलता है, जीवन का मैं रखवाला,
मृत्यु का मैं फल दाता, सबको मोक्ष मैं दिलवाता।
अधर्म का विनाश, करो तुम आपने हाथों से,
धर्म स्थापित होगा, तुम्हारे इन बाणों से।
मत भूलो अपराध, जो किया था कौरवों ने,
ले लो अपने अपमान का प्रण, जो लिया था पांडवो ने।
अंत करो सभी महान योद्धाओं का, करके उनका उद्धार,
मत करो मन को विचलित, ये है महान काम।