सूरज बनकर सदा चमकते रहेंगे हम  Rakesh Kushwaha Rahi

सूरज बनकर सदा चमकते रहेंगे हम

Rakesh Kushwaha Rahi

सूरज बनकर सदा
तपते रहेंगे हम,
गमों में खुशी बनकर
हँसते रहेंगे हम।
 

पथ चाहे पथरीला हो
या फिर पथ अनजाना हो,
हर रास्ते पर मुस्कुराकर
चलते रहेंगे हम।
 

तपते मरूस्थल अनंत हों
या फिर न मौसम बसंत हो,
पतझरों में फूल बनकर
खिलते रहेंगे हम।
 

चाहे सहर का सूरज न हो
आसमां में चाँद की मूरत न हो,
अंधेरों में दीप बनकर
जलते रहेंगे हम।
 

अकेला अपना सफर हो
चाहे वक्त का कोई पहर हो,
मंज़िलों की ओर बढ़कर
बढ़ते रहेंगे हम।
 

सूरज बनकर सदा
तपते रहेंगे हम।

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