कभी चिड़िया भी मुस्कुराई होगी Manvika Chauhan
कभी चिड़िया भी मुस्कुराई होगी
Manvika Chauhanकभी छोटी-सी यह चिड़िया भी
मुस्कुराई होगी,
कभी उसने भी यह दुनिया
देखने की इच्छा जताई होगी।
क्या पता था उस नन्ही सी जान को
कि समय ने कौन सी लीला रचाई होगी,
क्या पता था उसे कि यह
छोटा-सा पिंजरा उसकी दुनिया बन जाएगा,
अब उसे हँसने का भी कर्ज चुकाना
पड़ जाएगा।
कभी यह छोटी सी चिड़िया भी
अपने उदास मन में याद करेगी,
क्या पता था माँ कि यह दुनिया
इतनी ज़ालिम निकलेगी,
मुझे गिर के उठने का
मौका भी ना देगी।
मैंने सपने तो बहुत से देखे थे मगर
कभी यह न सोचा था कि
इन सपनों की भी कीमत चुकानी होगी।
कभी छोटी-सी यह चिड़िया भी
मुस्कुराई होगी,
कभी उसने भी यह दुनिया
देखने की इच्छा जताई होगी।
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यह कविता एक लड़की के जीवन से प्रेरित है। इस कविता द्वारा एक लड़की के बचपन से लेकर उसके बड़े होने तक के भाव बताने की कोशिश की गई है। एक लड़की जो बचपन से ही दुनिया को देखने के लिए उत्सुक है, किस प्रकर उसकी उत्सुकता निराशा में बदल जाती है। जब वह इस दुनिया को करीब से जानती है, उसे यह दुनिया एक पिंजरा मालूम होती है। जहाँ हँसने का भी कर्ज चुकाना पड़ता है। वह मन ही मन में उदास होती है और अपनी माँ को बताती है कि यह दुनिया कितनी ज़ालिम है।