लहराते खेत  SMITA SINGH

लहराते खेत

SMITA SINGH

जीवन के आधार खेत खलिहान
खेत खलिहान में काम करते किसान
तुमको कोटि-कोटि प्रणाम।
 

सुंदर मेरे खेत खलिहान जो बताते हमारी पहचान
दूर कहीं छूट चुका मेरा गाँव यादों में बसा
खलिहान में दिखती मानो सुनहरी लहलहाती अनाज की बेलें,
चहचहाती चिड़ियाँ कानों में मिस्री घोलें।
 

कच्चे आम और नींबू की वो ताज़ी मनमोहक खुशबू
अब कहाँ मिलेगी वो शहर आकर।
जैसे कृत्रिम हो गई जान
खेती के लिए ईश्वर का दिया वरदान
लहलहाते खलिहान परिश्रमी किसान
बीज से लेकर फल फूल की यात्रा
खलिहान में पैरों के निशान
उद्यमी किसान की यही पहचान।
 

तश्तरी में भोजन जो है वह नहीं होता आसान
नहीं दिखते अगर काम करते खलिहान में किसान
सुनो ज़रा ध्यान से ओ राही इंतज़ार में खड़े खेत खलिहान
किस भ्रम में दौड़ रहे हो छोड़ अपना खेत खलिहान।

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