तुम मेरे पास नहीं Gulshan Kumar Pal
तुम मेरे पास नहीं
Gulshan Kumar Palजब-जब गिरा मैं, तब-तब तुमने संभाला मुझे,
अब जब संभला हूँ, तो तुम मेरे पास नहीं।
जब-जब चोट लगी मुझे, तब-तब तुमने मरहम लगाया मुझे,
अब जब सब घाव भर गए, तो तुम मेरे पास नहीं।
जब-जब खुद को अकेला पाया, तब-तब तुम्हें अपने साथ पाया,
अब जब सब हैं, तो तुम मेरे पास नहीं।
जब-जब ठोकर खाई मैंने, तब-तब तुमने थामा मुझे,
अब जब थम गया हूँ, तो तुम मेरे पास नहीं।
जब-जब दुखी हुआ मैं, तब-तब तुमने हँसाया मुझे,
अब जब खुश हूँ, तो तुम मेरे पास नहीं।
जब-जब याद किया मैंने, तब-तब तुमने दर्शन दिया मुझे,
अब जब पुकारता हूँ, तो तुम मेरे पास नहीं।
जब-जब पकड़ा मेरा हाथ, तब-तब सारी परेशानी दूर हुई,
अब जब छूट गया हाथ बीच रास्ते में, तो तुम मेरे पास नहीं।