अपने-अपने चाँद Aman Kumar Singh
अपने-अपने चाँद
Aman Kumar Singhहर रोज़ आसमां में चाँद आता है,
हर शाम लोगों को सपने दिखाता है,
कहीं मम्मी अपने बेटे को चाँद कहती है,
कहीं बेटा इसे फिर अपना मामा बताता है।
अमीरों की कहीं ये जागीर बन बैठा,
कहीं पर ये लोगों को भूखा सुलाता है।
कोई चाँद में घर बनाने के ख्वाबों में खोया है,
कोई अपने को खो फिर चाँद के संग रोया है।
कोई झंडे पर रखकर चाँद भी भूखा जगाता आवाम को,
वहीं एक देश है जो चाँद पर भी तिरंगा लहराता है,
कोई महबूब को चाँद से भी सुंदर बताता है,
किसी का चाँद हर रोज़ छत पर आता है।