हे वीणा वादिनी, मात शारदे  Bhanu Pratap Singh Tomar

हे वीणा वादिनी, मात शारदे

Bhanu Pratap Singh Tomar

हे वीणा वादिनी मात शारदे
मुझ पर ये उपकार करो,
चरणों में है नमन तेरे माँ
वंदन ये स्वीकार करो।
 

यश, वैभव, सम्पति हे माँ
ये सब मेरी चाह नहीं,
मेरी कलम को माँ शक्ति दो
ज्ञान का बस भंडार भरो।
 

जब भी कलम चले मेरी माँ
देश का बस गुणगान लिखे,
लिखे भगत सिंह की कुर्बानी
राणा का स्वाभिमान लिखे।
 

अमर शहीदों की गाथा
लिखने का स्वप्न साकार करो,
चरणों में है नमन तेरे माँ
वंदन ये स्वीकार करो,
हे वीणा वादिनी मात शारदे,
मुझ पर ये उपकार करो।
 

झाँसी की रानी का पराक्रम,
नेताजी का जोश लिखूँ,
आज़ादी के हर दीवाने
को हे माँ सरफ़रोश लिखूँ।
 

मेरे लेखन में भारत का
हे माता संचार भरो,
चरणों में है नमन तेरे माँ
वंदन ये स्वीकार करो,
हे वीणा वादिनी मात शारदे
मुझ पर ये उपकार करो।
 

शब्द-शब्द मेरा माँ शारदे
भारत माँ को अर्पित हो,
मेरी रचना का हर अक्षर
देश को मेरे समर्पित हो।
 

मेरी कलम में केवल माता
भारत का संस्कार भरो,
चरणों में है नमन तेरे माँ
वंदन ये स्वीकार करो ,
हे वीणा वादिनी, मात शारदे,
मुझ पर ये उपकार करो।
 

चरणों में है नमन तेरे माँ
वंदन ये स्वीकार करो,
वंदन ये स्वीकार करो।

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