दिखना होना नहीं होता Goutam Kumar Mahto
दिखना होना नहीं होता
Goutam Kumar Mahtoपिता के पीठ से पसीना बहता है,
देह में जान नहीं लेकिन जोश दिखता है,
हाथों में ठाठे पड़े हुए हैं,
लेकिन कहते हैं - मेरे हाथ ही ऐसे हैं।
दर्द हज़ारों छिपाए हैं
और चेहरे पर मुस्कुराहट लाए हैं।
सो आज यही कहते हैं-
जिस प्रकार सोना का तात्पर्य हर क्षण सोना नहीं होता
ठीक उसी प्रकार दिखना होना नहीं होता।