जीवन सार  Shashi Shekhar Mishra

जीवन सार

Shashi Shekhar Mishra

कागज़ में समेटा ज्ञान को
फिर ग्रंथ बनाकर बेच दिया,
अपने चित्त को ना समेट सका
अपनी बुद्धि पर खेद किया।
 

फिर बुद्धि को विश्राम लगा
मैं गया हिमालय तप करने,
उस तप की ताप ना झेल सका
यह नश्वर देह भी भस्म किया।

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