प्यार की एक झलक SMITA SINGH
प्यार की एक झलक
SMITA SINGHएक दिन, रौशनी की किरण मेरी खिड़की से झाँक आई,
साथ में मेरे प्रियतम की परछाई भी लाई,
उस दिन लगा कि ज़िंदगी खिल उठी है,
शायद यही प्यार है, ऐसा एहसास हुआ भीतर से।
मेरी एक झलक पाने को वो दूर सफर तय करता था,
मुझे पाने की हसरतों से भरा रहता था।
शायद यही प्यार का बंधन है, जो हमें पास लाया है,
ऐसा एहसास जिसे कोई मिटा नहीं सकता,
पहला प्यार कोई भुला नहीं सकता।
यही मेरी चाहत है, मेरा मनुहार,
उसकी ज़िंदगी में मैं हूँ, और मेरी ज़िंदगी में वो बसता है।
खुशियों से भरा दिन है, हवा मस्त बह रही है,
फूल खिल रहे हैं, और मेरे चेहरे पर मुस्कान छा रही है।
क्योंकि वो आया है,
जिसके पास होने से मैं प्यार का एहसास कर पाती हूँ।
एक वो दिन था,
जब प्रकाश की किरण मेरे रोशनदान से झाँकती आई,
और साथ में मेरे प्रियतम की परछाई लाई।
उस दिन लगा कि यही ज़िंदगी है,
और महसूस हुआ कि शायद यही प्यार है।
मेरी एक झलक देखने को वो सफर तय करता था,
साथ मेरा पाने को ख्वाहिश हज़ार करता था।
शायद यही है प्यार का बंधन,
जिसने हमें साथ जोड़ा, दिया वो एहसास,
जो कभी कोई मिटा नहीं पाएगा।
पहला प्यार भुला कौन पाएगा?
यही चाहत है, उसकी ज़िंदगी में मैं हूँ,
और मेरी ज़िंदगी वो है।
खुशनुमा वो दिन है,
बयार चल रही है,
फूल खिल रहे हैं,
और मुस्कान बड़ी है मेरे मुख मंडल पर।
क्योंकि वो आए हैं,
जिनके सान्निध्य में मैं प्यार का अहसास कर पाती हूँ।