कलाकार Goutam Kumar Mahto
कलाकार
Goutam Kumar Mahtoहम कलाकार हैं
हम कला जानते हैं,
ज़िन्दगी जीने की कला जानते हैं,
लोगों के समक्ष पेश आने की कला जानते हैं।
लोगों ने कहा कि तुम उड़ नहीं सकते
हमने तो उड़कर भी दिखाया,
वो भी बिना पंखों के
आसमान छू कर भी दिखाया,
वो भी बिना सीढ़ियों के,
कि हम कलाकार हैं
हम कला जानते हैं,
किसमत बदलने की कला जानते हैं
लोगों को परखने की कला जानते हैं।
हम दिखते नहीं
लेकिन लोगों को दिखाते हैं,
हम लोगों की सुनते नहीं
लेकिन लोगों को सुना जाते हैं।
कहते हैं कि कला की कोई सीमा नहीं
लेकिन कला होती कैसी है?
कला बोलने में है
एक बार मुँह खोल के तो देखो,
कला देखने में है
एक बार आँखें खोल के तो देखो।
लोग कहते रहें
तुम्हारे हाथों में खुशियों की लकीर नहीं,
खुशहाल ज़िन्दगी तुम्हें नसीब नहीं।
हमने तो उनको भी गलत साबित किया
जो रेखाएँ उत्तर को जाती थीं
उनको हमने पूरब में मोड़ दिया।
हम कलाकार हैं
हम कला जानते हैं।
खेतों में जाएँ तो किसानों सा,
रास्तों में जाएँ तो राही सा,
मैदान में जाएँ तो खिलाड़ी सा,
लोग देखते रह जाएँगे
अगर ना रूके हम तो,
सो रूकना तो पडे़गा
परदे को तो गिरना पडे़गा,
हम कलाकार हैं
हम कला जानते हैं।
