माह बसंती आया है  Ashish Nainwal

माह बसंती आया है

Ashish Nainwal

जब-जब मानसरोवर में हँस टोलियों तिरती हैं
जब चंचल नीर लहर कोई तट पाने हेतु मचलती है
जब तुहिन बिंदु रवि किरणों से हीरे की तरह चमकती हैं
जब शशि की आभा कभी-कभी पूनम की तरह दमकती है
जब मलय समीर चंदन सुगंध निज साथ बहा ले आती है
और कहीं स्वच्छंद शून्य में खगकुल कलरव करती हैं
जब-जब ललित मनभावन बूंदें रिमझिम का राग सुनाती हैं
जब आवारा मेघों की टुकड़ी, सावन की घटा बुलाती हैं
तब-तब लगता इस अखिल विश्व ने दुल्हन सा रूप सजाया है
शाख, कोपलों पर पल बढ़ कर माह बांसती आया है

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