पर्यटन का पहाड़  रोशन "अनुनाद"

पर्यटन का पहाड़

रोशन "अनुनाद"

यूँ … ही
सर्द मौसम
सर्द दुपहरी
सुनसान सड़क
सुदूर पहाड़ की
संकरी और पतली सड़क

पास में बहती नदी
नदी का पानी भी सर्द
जम जाने वाला
कल-कल करता
नदी के किनारे खड़े पेड़
पतझड़ वाले पेड़
पेड़ों से झरते पत्ते
पत्तों के गिरने की आवाज़

तेज बहती
हवा का साथ मिलते ही
पानी का कलरव
और
पत्तों की सरसराहट
अलग ही आलाप करते

संकरी सड़क का किनारा
किनारे पर
जहाँ-तहाँ
छोटे बड़े पत्थरों का ढेर
पास की नदी से निकले
निकाले गए पत्थरों का ढेर
सड़क को और संकरा बनाता ढेर

इन्हीं एक ढेर के पास बैठी
एक महिला
भावशून्य चेहरा लिए
उजला पर मटमैला चेहरा
चेहरे पर प्रौढ़ता
युवावस्था में ही प्रौढ़ता

बदन पर एक मटमैली साड़ी
साड़ी के एक छोर से
पीठ पर बच्चे को बाँधे
दुधमुँहे बच्चे को
पीठ पर लाद लिया हो
जैसे बोझा
वो भी निर्जीव सा लदा
बिना हिले-डुले
माँ के मर्म और कर्म को समझता

माँ-बच्चा
दोनों ठंड से बेख़बर
बेअसर तो नहीं
क्योंकि सजीव हैं
अभी ज़िंदा हैं

सर पर आँचल
वो भी धूसरित
चिथड़ा हो गया
बार बार गिरता
सम्भालती बार-बार

हाथ में हथौड़ा पकड़े
कठोरता से हथौड़ा पकड़े
लगी है
ठक-ठक
खट-खट
पत्थरों को कूटने
उसके हथौड़े की ठक-ठक
मेरे कमरे में लगी
दीवार घड़ी के
पेंडुलम की
टक-टक से
मानो प्रतिस्पर्धा करती
उससे आगे निकल जाना चाहती
जैसे
हथौड़े से
अपने सब दुख,
सब परेशानी
कूट देना चाहती है
पत्थरों के साथ

धीरे-धीरे
गाड़ियों का रेला
उस सुनसान सड़क पर
आता-जाता
बढ़ता जाता
शहर के अशांत माहौल से उकता गए लोग
पहाड़ों को अशांत करते
शहरी प्रदूषण से बचने के लिए
सारा प्रदूषण साथ में लिए
पहाड़ पर चढ़ते, रेंगते,
संभ्रांत लोग
पहाड़ की ख़ूबसूरती को निहारने के लिए
फर्स्ट स्नो फ़ाल देखने की ख्वाहिश लिए
सबसे पहले रील अपलोड करने के लिए आतुर

गाड़ियों पर लदे लोग
लोगों को ढोती गाड़ियाँ
रेला जाम में बदलता जाता
बेचारी दबी सहमी सड़क
सड़क पर जाम
जाम में फँसे लोग
हॉर्न की पों-पों
थमे पहिए
बेचैन होते लोग
बार-बार गाड़ी से उतर कर
“आगे क्या हुआ?”
“क्यों रुक गया?”
एक दूसरे से पूछते
कोई गाड़ी में बैठे-बैठे
सिस्टम को कोसता
“क्या व्यवस्था है?”
बुदबुदाता

एक गाड़ी
जो रुकी है
पत्थर तोड़ती महिला के पास
गाड़ी में एक बच्चा खड़ा है
सन रूफ़ खोल कर
अचानक नज़र पड़ती उस महिला पर
कौतुहल जागता
“हे मॉम!
हे डैड!
लुक ऐट दिस
व्हाट ए वंडरफ़ुल लेडी
बट व्हाट शी इस डूइंग?”

मॉम-डैड कार का डोर खोलते
दोनों के हाथ में मोबाइल
"ये यूनिक है कुछ
मैं बात करता हूँ इससे
तुम वीडियो बनाओ
अपलोड करेंगे"
डैड
मुस्कुरा कर मॉम को कहते

“कैसी हो आप?
क्या कर रही हो?
कबसे करती हो ये काम?
बच्चे को ठंड नहीं लगती?
तुम्हारा पति कहाँ है?
तुम्हारा ख़याल नहीं रखता वो ?
सरकार तुम्हारा कोई ख़याल नहीं रखती?
ऐसा ही है सब
रोड के हाल ही देख लो”

महिला को अपने काम से कहाँ फुर्सत
वही ठक-ठक

अचानक जाम खुलता
डैड-मॉम से बोलते
वीडियो बना लिया था ना
चेक कर लो
बच्चे की मॉम डैड से कहती
बिल्कुल बना लिया
बराबर
अच्छा
“जल्दी से एक सेल्फ़ी भी ले लो”

एकतरफ़ा संवाद अचानक से ख़त्म
रेंगता ट्रैफ़िक धीरे-धीरे चल पड़ता
बच्चा ज़ोर से चिल्लाता “हुर्रे”
“व्हाट अं ब्यूटीफ़ुल सीनरी मॉम”

कार में बैठे-बैठे
मॉम डैड से पूछती
“उसे ठंड नहीं लग रही होगी ?”
“डोंट बी सेंटीमेंटल”
“एंजॉय करने आए हैं"
“सबका अपना अपना नसीब है”
डैड आंसर करते

“सही कहते हो
अच्छा मैं कुल्फी भी खाऊँगी इस बार
चाहे कुछ हो”
“इतनी ठंड में कुल्फी”
“हाँ तो क्या”
“मुझे खानी है तो खानी है”
“ओके बाबा
ऐज़ यू विश”

फिर से
गर्र गर्र
पों पों

धीरे धीरे
मद्दम
होती जाती

फिर से
सुनसान सड़क
नदी
पेड़
महिला
ठक-ठक
खट-खट
टक-टक

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