बालकृष्ण शर्मा 'नवीन'

जीवन परिचय

हिंदी साहित्य में प्रगतिशील लेखन के अग्रणी कवि पंडित बालकृष्ण शर्मा 'नवीन' का जन्म सन् १८९७ में ग्वालियर जनपद के अर्न्तगत शुजालपुर गाँव में हुआ। इनके पिता श्री जमनालाल शर्मा वैष्णव धर्म के प्रसिद्द तीर्थ श्रीनाथ द्वारा में रहते थे वहां शिक्षा की समुचित व्यवस्था नहीं थी, इसलिए इनकी माँ इन्हें ग्वालियर राज्य के शाजापुर स्थान में ले आईं, यहाँ से प्रारंभिक शिक्षा लेने के उपरांत इन्होंने उज्जैन से दसवीं और कानपुर से इंटर की परीक्षा उत्तीर्ण की । इसके उपरांत लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक, श्रीमती एनी बेसेंट एवं श्री गणेशशंकर "विद्यार्थी" के संपर्क में आने के बाद उन्होंने पढना छोड़ दिया । ब्रजभाषा "नवीन" की मातृ भाषा है । इन्होंने ब्रज भाषा के साहित्य को बहुत समृद्ध किया । ये अपने ह्रदय के उदगार की अभिव्यक्ति के लिए कविता लिखते थे । भाषिक सुधार की तरफ इन्होंने कभी ध्यान नहीं दिया । इनका व्यक्तित्व आकर्षक था । 'नवीन' जी बहुत ही अच्छे वक्ता थे । संगीत के प्रति इनका प्रेम था । जीवन के अंतिम वर्षों में ये भारतीय संसद के सदस्य रहे । १९६० में इनका देहावसान हो गया ।

लेखन शैली

'नवीन' जी राष्ट्रवादी कवि थे । उनका जीवन अपनी मातृभूमि को समर्पित था । राष्ट्र प्रेम उनकी कविताओं का मुख्य स्वर है । उन्हें अपने देश की संस्कृति और सभ्यता पर बड़ा गर्व था । स्वाधीनता संग्राम में जूझते हुए नवीन जी कभी सफलता के प्रति आशावान और कभी प्रयासों के विफल हो जाने पर निराश हो उठते थे । आशा-निराशा की ये भावनाएं उनकी कविता में मुखरित हुई हैं । "आज खड्ग की धार कुंठिता" नमक कृति में इसी प्रकार की निराशा का भाव अभिव्यक्त हुआ है । राष्ट्रीय विचारों की भाँति अध्यात्मवाद में भी नवीन जी की आस्था थी । "कस्तवं कोहम" तथा "मानव की अंतिम गतिविधि" कविता में इनके अध्यात्मवादी विचार झलकते हैं । उर्मिला इनका छह सौ पृष्ठों का एक प्रबंध काव्य है । राष्ट्रीयता और क्रांति के भावों के अतिरिक्त प्रेम का स्वर भी इनकी कविताओं में ध्वनित होता है ।

प्रमुख कृतियाँ
क्रम संख्या कविता का नाम रस लिंक
1

फागुन

अद्भुत रस
2

हिंडोला

अद्भुत रस
3

दोहे

शृंगार रस
4

प्राप्तव्य

अद्भुत रस
5

असिधारा पथ

वीर रस
6

घन गरजे

शृंगार रस
7

मधुमय स्वप्न रंगीले

अद्भुत रस
8

नई उमरिया प्यासी है

शृंगार रस
9

मेह की झड़ी लगी 

अद्भुत रस
10

विप्लव गायन 

रौद्र रस
11

भिक्षा

शृंगार रस
12

अरे तुम हो काल के भी काल

वीर रस
13

मन मीन

अद्भुत रस
14

सदा चाँदनी 

शांत रस
15

ओस बिंदु सम ढरके

अद्भुत रस
16

हम अनिकेतन

अद्भुत रस
17

साजन लेंगे जोग

शृंगार रस
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