भारतेंदु हरिश्चंद्र

जीवन परिचय

भारतेंदु हरिश्चंद्र का जन्म 1850 में काशी के एक प्रतिष्ठित वैश्य परिवार में हुआ। उनके पिता गोपाल चंद्र एक अच्छे कवि थे और गिरधर दास उपनाम से कविता लिखा करते थे । भारतेंदु जी की अल्पावस्था में ही उनके माता-पिता का देहांत हो गया था अतः स्कूली शिक्षा प्राप्त करने में भारतेंदु जी असमर्थ रहे । घर पर रह कर हिंदी, मराठी, बंगला, उर्दू तथा अंग्रेज़ी का अच्छा ज्ञान प्राप्त कर लिया । भारतेंदु जी को काव्य-प्रतिभा अपने पिता से विरासत के रूप में मिली थी । उन्होंने पांच वर्ष की अवस्था में ही निम्नलिखित दोहा बनाकर अपने पिता को सुनाया और सुकवि होने का आशीर्वाद प्राप्त किया-

लै ब्योढ़ा ठाढ़े भए श्री अनिरुध्द सुजान।
वाणा सुर की सेन को हनन लगे भगवान।।

लेखन शैली

भारतेंदु जी की यह विशेषता रही कि जहां उन्होंने ईश्वर भक्ति आदि प्राचीन विषयों पर कविता लिखी वहां उन्होंने समाज सुधार, राष्ट्र प्रेम आदि नवीन विषयों को भी अपनाया । अतः विषय के अनुसार उनकी कविता श्रृंगार-रस प्रधान, भक्ति-रस प्रधान, सामाजिक समस्या प्रधान तथा राष्ट्र प्रेम प्रधान हैं।

प्रमुख कृतियाँ
क्रम संख्या कविता का नाम रस लिंक
1

यमुना-वर्णन

अद्भुत रस
2

ऊधो जो अनेक मन होते

शृंगार रस
3

चने का लटका 

हास्य रस
4

ग़ज़ब है सुरम

अद्भुत रस
5

गंगा-वर्णन

अद्भुत रस
6

मेरे नयना भये चकोर

शृंगार रस
7

ब्रज के लता पता मोहिं कीजै

शृंगार रस
8

मुकरियाँ 

हास्य रस
9

परदे में क़ैद औरत की गुहार

अद्भुत रस
10

हरी हुई सब भूमि

अद्भुत रस
11

उसको शाहनशही हर बार मुबारक होवे

अद्भुत रस
12

चूरन का लटका 

हास्य रस
  परिचय

"मातृभाषा", हिंदी भाषा एवं हिंदी साहित्य के प्रचार प्रसार का एक लघु प्रयास है। "फॉर टुमारो ग्रुप ऑफ़ एजुकेशन एंड ट्रेनिंग" द्वारा पोषित "मातृभाषा" वेबसाइट एक अव्यवसायिक वेबसाइट है। "मातृभाषा" प्रतिभासम्पन्न बाल साहित्यकारों के लिए एक खुला मंच है जहां वो अपनी साहित्यिक प्रतिभा को सुलभता से मुखर कर सकते हैं।

  Contact Us
  Registered Office

47/202 Ballupur Chowk, GMS Road
Dehradun Uttarakhand, India - 248001.

Tel : + (91) - 8881813408
Mail : info[at]maatribhasha[dot]com